Essay on Population control in Hindi 2019जनसंख्या वृद्धि पर निबन्ध
प्रस्तावना
विश्व में जनसंख्या कि दृष्टि से चीन के बाद सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत दूसरे स्थान पर है। अगर एक शब्दों में कहा जाये तो विश्व का हर छठवां व्यक्ति भारतीय है तथा चीन भारत से एक कदम आगे है क्योंकि विश्व का हर पांचवां व्यक्ति चीन का है। भारत में एक मार्च 2001 को कुल जनसंख्या 1 अरब 27 करोड़ हो चुकी थी। यह संख्या विश्व के कुल जनसंख्या के 16. 7 प्रतिशत के बराबर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सातवां स्थान है जो इन देशों के बाद आता है रूस, कनाण, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत का सातवां स्थान है। अगर देखा जाये चीन को छोड़कर ये पांच देश भारत की क्षेत्रफल के मुकाबले में भी काम है।
अगर तीनों महाद्वीपों उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या जोड़ दिया जाये तो भी भारत के जनसंख्या से कम है। भारत की विडम्बना देखा जाये तो यहाँ के जनसंख्या में प्रति वर्ष 1 करोड़ 70 लाख का इजाफा हो रहा है। और यह जनसंख्या ऑस्ट्रेलिया के कुल जनसंख्या से ज्यादा है। विश्व में सबसे अत्यधिक जनसंख्या वाला देश चीन का वार्षिक वृद्धि दर भारत की जनसंख्या वृद्धि दर से कम है।
हम सब को ज्ञात है की जन्म दर मृत्यु दर से अधिक है और जन्म दर मुख्य रूप से अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि के लिए जिम्मेदार है। इतना प्रभावी जनसंख्या को समय रहते नियंत्रण करना अतिआवश्यक है। भारत की जनसंख्या अत्यधिक बड़ी है और तेज गति की ओर वृद्धि भी कर रही है। जो आने वाले समय में अति चिंतनीय का विषय होगा।
बढ़ती जनसंख्या के कारण
एक नजर जनसंख्या वृद्धि पर जो जन्म दर मृत्यु दर को समझने से है और इसको समझना अतिआवश्यक है, जन्म दर वह है जो प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर पैदा होने वाले संतानों की संख्या को जन्म दर कहा जाता है तथा मृत्यु दर वह है जो प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहा जाता है। अगर एक वर्ष में जन्म संतानों की संख्या को उस वर्ष मृत व्यक्तियों की संख्या को घटा दें तो जनसंख्या वृद्धि का पता चल जाता है।
विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि भारत में हो रही है, एक नजर देखा जाये तो पुरे विश्व में हर साल 8 करोड़ जनसंख्या वृद्धि होती है। जिसमें 1 चौथाई भाग अर्थात 2 करोड़ जनसंख्या वृद्धि अकेले भारत देश करता है। एक सटीक अनुमान के द्वारा कहा जा सकता है कि भारत देश में प्रति मिनट 52 बच्चे पैदा होते है। अगर यही आकड़ा पुरे विश्व में देखे तो प्रति मिनट 240 बच्चे जन्म लेते है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान दूसरा है एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व सातवां स्थान है, और जनसंख्या वृद्धि के कारण जनजीवन पर अनेक समस्याएं उतपन्न हो गयी है जो एक कारण जनसंख्या विस्फोटक का भी बन सकता है।
कुछ मुख्य बिन्दु जो बढ़ती जनसँख्या के कारण है जो निम्नलिखित है –
जन्मदर मृत्युदर के प्रति अधिकता –
जन्मदर एवं मृत्युदर क्या है और इन्हें समझना क्यों जरुरी है जी हा इसे समझाना उतना ही जरुरी है जितना एक सही तरीके से परिवार का नियोजन करने से है अर्थात जन्मदर 19.3 प्रति 1000 था जो एक निश्चित समय के अवधि में1000 लोगो के बीच 19.3 नये बच्चे जन्म लेते है और उतनी समय की अवधि में 1000 लोगो के बीच 7.3 व्यक्तियों की मृत्यु हो रही है। यानी देखा जाये तो हर पल जनसँख्या में वृद्धि हो रही है इस पर ध्यान देने योग्य बात है की जन्म दर को घटाना चाहिए। नये नियम बनाने होंगे 1 या 2 बच्चे पैदा करने का नियम बनना चाहिए जिससे जनसँख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
परीवार नियोजन की कमी के कारण -
देश में अब भी चिंतनीय की बात है की लोग लड़कें पैदा करने के आस में कई लड़कियां को जन्म दे देते है और इसका मुख्य का कारण है जनसँख्या वृद्धि जो सही तरीके से नियोजन नहीं कर पाते है और इनकी यही सोच आने वाले पीढ़ी पर भी पड़ती है अर्थात इनके अज्ञानता के कारण।
अशिक्षा तथा अज्ञानता के कारण –
अशिक्षा एवं अज्ञानता से हमारा उन लोगों से तात्पर्य है जो इस आधुनिक समय में भी ये लोग अत्यधिक बच्चों को जन्म देना भगवान की ही इच्छा है लेकिन ये लोग अपने कर्म को नहीं देखते है और ऐसे लोग समाज के प्रति जागरूक नहीं होते है एवं देश के बारे में कभी भी नहीं सोचते है एवं ऐसे लोग परिवार नियोजन से अज्ञान रहते है और कम उम्र में शादी करना, धार्मिक रूढ़िवादिता के प्रति भी नासमझ होते है जिसका मुख्य कारण जनसँख्या वृद्धि को प्रभावित करना अर्थात जनसँख्या वृद्धि को बढ़ावा देना है।
बाल विवाह के कारण –
बाल विवाह हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है जो इस आधुनिक युग में भी जो लोग अशिक्षित एवं अज्ञान के वश में ऐसे परिणाम को अंजाम देते है इस कारण कम उम्र में बच्चे को जन्म देना तथा इस उम्र में पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालने के लिए सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार नहीं रहते और सही – गलत क्या है इसको समझ नहीं पाते जिस कारण जनसँख्या वृद्धि के कारण ऐसे लोग होते है। देखा जाये तो लड़की की 18 वर्ष के बाद एवं लड़के का 21 वर्ष बाद विवाह करना अनिवार्य हैं जिसके लिए सरकार ने कानून बनाया है।
गरीबी जो एक मज़बूरी है (यह भी एक मुख्य बिंदु है जो जनसँख्या वृद्धि का कारण है) –
हमारे भारत देश की आबादी वृद्धि में गरीबी एक मुख्य कारण है। यह एक बहुत बड़ी समस्या है और इनकी मज़बूरी इनसे बहुत कुछ कराती है। ऐसे में बहुत से परिवार कई बच्चे को जन्म देते है क्योकि इनके बच्चे इनका आगे चलकर सहायता करे लेकिन इन बच्चों का भी भरण – पोषण करना अति आवश्यक होता और इसके लिए आर्थिक स्तिथि का मजबूत होना आवश्यक होता है लेकिन ऐसा ना होने से ये गरीब से और गरीब हो जाते है।
एक सही दृष्टि से देखा जाये तो गरीबी वह समस्या है जो आज के इस आधुनिक युग में भी अधिक बाल रोजगार के रूप में कहीं न कहीं पाये जाते है जैसे किसी के घर बर्तन धुलना, किसी होटल या रेस्टुरेंट में, किसी कल – कारखाना में एवं कूड़ा उठाना आदि ऐसे कई समस्याएं है जो गरीबी को बढ़ावा देते है और अशिक्षित की और अग्रषित हो रहे है। जो जनसँख्या वृद्धि के कारण भी है।
इस समाज में जनसँख्या वृद्धि के और भी कई कारण है जो अशिक्षित होने के साथ धार्मिक रूढ़ीवाद को बढ़ावा देना एक तरफ से यह अंधकार की ओर जाना है ऐसे परिवारों में महिलाओं को परिवार नियोजन के प्रति भागी बनने से रोक लगाते है क्योकिं ऐसे लोगो को का मानना है की महिलाओं को भगवान के इच्छाओं के खिलाफ नहीं जाना चाहिए |लेकिन कुछ महिलाएं है जो इस तर्क पर कहती है की बच्चे भगवान के इच्छा से पैदा होते है और महिलाएं बच्चे को जन्म देने के लिए ही है |यही सोच के कारण अपने देश की स्तिथि ऐसी बनी है तथा इसका मुख्य कारण जनसँख्या वृद्धि की ओर आकर्षित हो रही है जो एक विस्फोटक का खतरा रहेगा |
विश्व में जनसँख्या वृद्धि का सवरूप –
आज के इस आधुनिक युग की बात की जाये तो विश्व की कुल जनसँख्या 6 अरब से भी अधिक है जो काफी अधिक है लेकिन चकित करने वाली बात तो यह है की विश्व की कुल आबादी का आधा हिस्सा भारत एवं चीन में बसता है, हालाँकि चीन ने जनसँख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण किया हुआ है और इसके आलावा कुछ विकासशील देश भी है जिसकी आबादी भी कुछ अत्यधिक है जैसे – अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील, जर्मनी एवं फ़्रांस आदि विकसित है। अगर यही स्थिति रही तो भारत देश की आबादी 2024 तक सबसे पहले स्थान पर हो जाएगी।
इस बढ़ती हुई जनसँख्या का सबसे ज्यादा योगदान अफ़्रीकी एवं एशियाई देशों का है, जो चीन समेत विकासशील देशों का औसत जनसँख्या वृद्धि लगभग 2.0 % है, एवं कई विकसित देशों की औसत जनसँख्या वृद्धि 0.1 % है जैसे –अमेरिका, फ़्रांस, ब्रिटेन एवं जर्मनी आदि है। सन 1900 से 1975 तक विश्व में हुई जनसँख्या वृद्धि का कुल 80 % इन्हीं विकासशील देशों का है जो अब यह बढ़कर 98 % हो गया है।
एक आकड़ें के अनुसार दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश जो निम्नलिखित है –
चीन
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1,384,200,000
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पहला स्थान
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भारत
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1,318,350,000
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दूसरा स्थान
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अमेरिका
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325,386,000
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तीसरा स्थान
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इंडोनेशिया
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263,991,000
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चौथा स्थान
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ब्राजील
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207,718,000
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पांचवां स्थान
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आज के इस वर्तमान समय में भारत की जनसँख्या प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ 70 लाख की वृद्धि हो रही है। अगर यहाँ की जनसँख्या वृद्धि इसी गतिशील से बढ़ती रही तो यह एक अभिशाप होगा एवं यहाँ के परिणामस्वरूप अपने भारत देश में अत्यधिक गरीबी, बेरोजगारी एवं महंगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जिस कारण हमारे भारत देश की आर्थिक स्तिथि पर काफी बुरा प्रभाव भी पड़ेगा यदि हमे विकास के गति का लाभ उठाना है तो उन्नत जीवन की ओर आकर्षित होना पड़ेगा एवं जनसँख्या वृद्धि नियंत्रण पर विजय प्राप्त करना होगा और पुरे विश्व को भी जागरूक करना होगा।
जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रण करने का उपाय –
शिक्षा का प्रसार –
जनसँख्या को नियंत्रण करने के लिए हमे उन सभी को उजागर करना होगा जो शिक्षा से वंचित रह जाते है जैसे की गावं, झोपड़ पट्टी वाले नगर एवं कुछ ऐसे बस्ती जहाँ शिक्षा का मतलब ही नहीं समझते है और ये लोग ही स्वयं के आर्थिक स्तिथि को समझने में भूल करते है और अधिक संतान को जन्म देते है और बेरोजगारी में रहते है और ये समस्या उनकी आने वाली पीढ़ी पर भी असर दिखाती है। अपने भारत देश की कुल जनसँख्या अब भी 70 प्रतिशत गावं में ही रहती है। शिक्षा की अज्ञानता के कारण ही गरीबी, बेरोजगरी एवं महंगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है। देखा जाये तो शिक्षा के प्रचार-प्रसार से जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रण किया जा सकता है।
परिवार नियोजन –
जनसँख्या नियंत्रण के लिए जन आन्दोलन करना आवश्यक है तथा इसके साथ परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार करना भी अति आवश्यक है और इसे हम सबको समझना भी अति आवश्यक है जिससे जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सके।
विवाह योग्य आयु निर्धारित करना –
आज भी हमारे देश में बाल विवाह की प्रथा है जो अज्ञानता के कारण ये परिवार ऐसा करते है। बाल-विवाह पर क़ानूनी रोक लगाया जाना चाहिए एवं विवाह योग्य के लिए लड़का एवं लड़की की उम्र को भी बढ़ाना चाहिए।
संतान की सीमा निर्धारण करना –
जनसँख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण संतानोपत्ति है इसको समय रहते अगर निर्धारण न किया जाये तो यह एक जनसँख्या विस्फोटक का कारण होगा एवं परिवार, जन एवं राष्ट्र के हित में प्रत्येक दंपत्ति को संतानों की संख्या 1 से 2 तक करना ही अतिआवश्यक है। चीन इसी नियम को लागु करके इसपर नियंत्रण पा लिया है।
सामाजिक सुरक्षा -
सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाना चाहिए जो बेरोजगरी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, वृद्धा-आश्रम हेतु व्यवस्था करनी चाहिए एवं सुरक्षा के भावना को जागृत करना चाहिए।
जनसँख्या शिक्षा –
इस आधुनिक युग में सभी को शिक्षित होना आवश्यक है जो सरकार एवं सेवी संगठनों द्वारा अपने अनुसार चलाया जा रहा है। इन्ही के माध्यम से लोगो को बढ़ती हुई जनसँख्या से सम्बन्धित कठिनाइयाँ उतपन्न होती है जैसे दुष्प्रभावो, खान पान, बीमारी, स्वास्थ्य सम्बन्धित गड़बड़ियाँ , विवाह योग्य सही उम्र आदि का सही जानकारी से अवगत कराना है। देखा जाये तो जनसँख्या शिक्षा को अनिवार्य भी किया जा चूका है। जिससे लोगो को जागरूक किया जाये जिससे जनसंख्या नियंत्रण किया जा सके।
परिवार नियोजन सम्बन्धित शिक्षा –
सभी लोगो को परिवार नियोजन के लिए जनसँख्या वृद्धि नियंत्रण हेतु शिक्षा का होना आवश्यक है। जिसमें इन्हें गर्भ निरोधक प्रयोगों से जिसमें निरोध, कापरटी, गर्भ निरोधक की गोलियों का सेवन इत्यादि की जानकरी दि जाती है तथा इनका प्रचार – प्रसार करके जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
महिला शिक्षा –
भारत देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की शिक्षा काफी कम है, इस कारण यह जनसँख्या वृद्धि नियंत्रण के प्रति जागरूक नहीं हो पाती है। अगर देखा जाये तो जिस क्षेत्र में महिलाओं में शिक्षा का अभाव सबसे कम है वहां जनसँख्या वृद्धि अधिक है। जहाँ पर महिलाएं अधिक शिक्षित होती है वह जनसँख्या वृद्धि दर को समझती है और एक सही परिवार नियोजन भी करती है एवं अपने बच्चों के स्वास्थय के प्रति एवं खान पान के प्रति भी जागरूक रहती है इसलिए महिलाओं में शिक्षा के प्रति जागरूक होना आवश्यक है जो जनसँख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
यौन शिक्षा –
इस आधुनिक युग में भी यौन सम्बन्धों को छिपाने की चीज समझा जाता है जो यही कारण है की इससे जुडी समस्याएँ को बताने में शर्मिंदगी महसूस करते है और इस कारण से ये लोग असमय और अधिक संतान को जन्म देते है। ऐसी समस्या अगर इस सम्बन्ध में ऐसे लोगो को जागरूक किया जाये तो जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
जन सम्पर्क –
जनसँख्या नियंत्रण करने के लिए ‘जन सम्पर्क’ करना एक अच्छा उपाय है। इससे सम्बन्धित नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कथा सार एवं अन्य कहानी द्वारा जनसँख्या वृद्धि के कारण एवं उपायों की सही जानकारी दी जा सकती हैं।
जनसंचार द्वारा प्रचार – प्रसार –
एक कदम जनसंचार की तरफ सभी में जनसँख्या वृद्धि नियंत्रण के प्रति सरकार समाचार पत्रों, रेडियों, टेलीविजन समाचार एवं इटरनेट के माध्यम द्वारा जनसंचार का प्रचार – प्रसार करना एवं अलग-अलग परिवार नियोजन कार्यक्रम करके जनसँख्या वृद्धि नियंत्रण के उपाय को बताना।
उपसंहार
जनसँख्या वृद्धि अति चिंतनीय का विषय है जो आने वाले समय में यह एक विस्फोटक का रूप धारण कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके मुलभूत सुविधाएं अवगत कराना नामुमकिन सा हो जायेगा। जब तक देश का प्रत्येक नागरिक जनसँख्या वृद्धि के नियंत्रण को नहीं समझेगा तब तक इस पर विजय पाना बहुत ही मुश्किल है, इसके लिए पुरे विश्व को इसके महत्व को समझना होगा और सभी को मिलकर इस पर एक जन आंदोलन करना होगा।
यदि प्रत्येक नागरिक यह समझ जाये की बेरोजगारी, अज्ञानता - अशिक्षा , बाल -विवाह, गरीबी, अस्वास्थय रहने की स्थिति, प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरणीय समस्याओं की कमी को अधिकांश यही सब जनसँख्या वृद्धि के परिणाम है तो ये स्वयं जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहयोग करेंगे।
जनसँख्या वृद्धि एक निश्चित रूप से बहुत बढ़ी समस्या है जो हमारे भारत देश के लिए काफी चिंतनीय है प्रत्येक मनुष्य को इसके लिए मिलकर सहयोग करना चाहिए। हमे अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी के सिमित क्षमता एवं इसके संतुलन एवं प्राकृतिक संसधानों को भी क्षति नहीं पहुँचाना चाहिए अन्यथा इस विश्व के प्रत्येक मनुष्य के लिए इसके दुष्परिणाम काफी घातक हो सकते है।
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4 Comments
Great Article!
ReplyDeleteWill Population! affect GDP?
nice article thanks for share
ReplyDeleteWhatsapp status in urdu
best post
ReplyDeleteNice essay
ReplyDeleteBhaiya ji